सत्य का सुमन

जाओ मनु तुम सत्य का सुमन तोड़ लाओ,
निनाद   तुम्हारा   गूंज  उठेगा  इस धरा में।
यह  सत्य   का बाट बड़ा करुणामय का है,
जो  इस  बाट  पर  चलता  वही हरिश्चंद्र है।

सत्य  की   तर्पण  उसी  की  फैलती है धरा में,
प्राण   तजि  कर   सत्य का सुमन  तोड़ लाये।
रजनीचर   तोड़ ले   आएगा   सत्य का सुमन,
जाओ मनु सत्य का सुमन तुम तोड़ ले आओ।

सत्य का सुमन   राजा हरीश चंद्र ने तोड़ा,
राज्य छोड़ दिया लेकिन वचन नहीं छोड़ा।
समृद्धि    को    छोड़कर   राजा   हरिश्चंद्र,
वह   सत्य  का  सुमन   तोड़ने  चला  था।

बहुत  महात्मा जन  कहकर  चले गए,
हे  मनु तूने  सत्य का सुमन नहीं तोड़ा।
मनु    तूने   सत्य  को   नहीं  पहचाना,
लगता   है   तेरा   विवेक   मर गया है।

हे विद्वान कैसे तोड़ूं मैं सत्य का सुमन?
कुछ   भोंदू   मुझे   तोड़ने  नहीं देते है।
भोंदू  कालकूट में  मुझे सुधा दिखाकर,
अपनी   और  बुला  लेते  है यह  भोंदू।

वह तो हर किसी को विष पिलाया करते हैं,
तुम  क्यों   विष पीने  जाते हो उनके साथ।
एक बार तुम सत्य का सुमन तोड़ ले आओ,
फिर  कोई  नहीं  पिलायेगा तुम्हें कालकूट।

त्रिलोचन को भी प्यारा है सत्य का सुमन,
क्या कोई त्रिलोचन से बेर लेना चाहता है।
हे   मनु   तुम    निर्भय    होकर    जाओ,
सत्य  का  सुमन    तोड़   लेकर   आओ।

(नारायण सुथार ✍️)

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