बबूल का पेड़

            बबूल का पेड़

पेड़ के तने से मधुर आवाज आ रही,
ऊपर  से   कोयल   गीत  सुना  रही।
कुछ     पत्ते     नीचे   गिर   रहे   थे,
वह      कोयल     गिरा    रही    थी।

बबूल  के  पेड़  का टेढ़ा मेढ़ा  तना,
वाह!     वाह!     क्या     सुंदर   है।
बबूल के पेड़ के नीचे गिरे हुए फूल,
वाह!    वाह!    क्या    नजारा   है।

कुछ   पक्षी   उड़  कर   चले  जाते,
कुछ फिर आकर पेड़ पर बैठ जाते।
पेड़  की  छोटी  डाली पर वह पंछी,
झूल-झूल    कर    उड़    जाते   है।

मेरे   भोजन    में   फूल  गिरा  कर,
वह  पंछी  उड़  कर  चले  जाते  हैं।
मैं  उन   फूलों  के  बीच  बैठा-बैठा,
बबूल के पेड़ का आनंद ले रहा था।

(नारायण सुथार✍️)

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भुखमरी

"शेयर बाजार का चार्ट जीवन पर चरितार्थ"

शत्रुता