कविता
ओज वाणी गाओ तुम,
वह ज्वाला के समान हो।
शत्रु से जो हार नहीं माने,
वही तो महाराणा प्रताप है।
जो शत्रु को नतमस्तक कर दे,
वही तो राजा पोरस है।
सत्य मार्ग जो बताता हे,
वही तो गुरु वशिष्ठ है।
सत्य मार्ग पर जो चलता,
वही तो राजाराम हे।
अज्ञानी को ज्ञान सिखा दे,
वही तो दास कबीरा हे।
प्रतिमाओ मैं प्रभु दिखा दे,
वही तो तुलसीदास हे।
जो आचरण इनका कर ले,
वही तो स्वामी विवेकानंद हे।।
वह ज्वाला के समान हो।
शत्रु से जो हार नहीं माने,
वही तो महाराणा प्रताप है।
जो शत्रु को नतमस्तक कर दे,
वही तो राजा पोरस है।
सत्य मार्ग जो बताता हे,
वही तो गुरु वशिष्ठ है।
सत्य मार्ग पर जो चलता,
वही तो राजाराम हे।
अज्ञानी को ज्ञान सिखा दे,
वही तो दास कबीरा हे।
प्रतिमाओ मैं प्रभु दिखा दे,
वही तो तुलसीदास हे।
जो आचरण इनका कर ले,
वही तो स्वामी विवेकानंद हे।।
(नारायण सुथार )
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