लहरें

          लहरें

बड़ी उमंग में चलती है,
बड़े जोश में  चलती है,
किनारे  से  टकराती है,
फिर   भी   चलती   है।

किनारा  ना  होता  तो,
क्या  होता  लहरों  का?
वह   लहरें  मर   जाती,
उनकी उमंग मर जाती।

किनारा प्रेरित करता है,
किनारा आगे बढ़ाता है,
किनारा    ही  तो   हमें,
सफल     बनाता     है।

कबीर ने बनाया किनारा,
अपने     रामानंद     को,
वह  कबीर  तो  धरा पर,
सदा   अमर   हो    गए।

कहे   कविराय    तुमको,
एक किनारा तुम बनाओ,
फिर   उस    किनारे   से,
तुम   टकरा   के   देखो।


 (नारायण सुथार )


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