'पानी गिर रहा'

 "पानी गिर रहा"

पानी  गिर  रहा  है,
मधुर स्वर सुना रहा,
पूरी रात सुना  रहा,
बिजली चमक रही,
बादल ढोल बजा रहा,
हवा वीणा बजा रही,
बून्दे ताल मिला रही,
मीठा स्वर सुना रही,
पानी  गिर  रहा  है,
मधुर स्वर सुना रहा।
पानी कुछ कह रहा,
तुम ज्ञान से  सुनो,
अपनी ताल में वह,
पूरी कथा सुना रहा।
किसानों के नयन में,
नयन नीर नहीं देख पाता,
नयन नीर देख  कर,
दौड़ा चला आता हे,
नयन नीर रोकने के लिए,
मधुर स्वर सुनाता हुआ।
पानी कुछ कह रहा,
तुम  ज्ञान  से  सुनो,
अपनी ताल में वह,
पूरी कथा सुना रहा।।


(नारायण सुथार )




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