व्यंग्य
एक डाकू ने कत्ल किया,
किस्मत अच्छी थी उसकी,
हजारों रूपयाँ पास था,
सखी बच गया वह।
डाकू अंधेरी रात में,
भागते भागते जा रहा था,
आगे ट्रैफिक नजर आया,
जेब पर उसने हाथ फहराया,
हजार रुपयाँ पास था,
सखी बच गया वह।
तुम हजारों गुनाह करो,
हजारों रूपयाँ पास रखो,
यह रुपयाँ दिखा देना उनको,
रिहा कर देंगे तुमको।
जेब खाली हुई तो,
लगा दिया ट्रैफिक,
जेब भर गई तो,
हटा दिया ट्रैफिक।
(नारायण सुथार )
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